निर्जला एकादशी का महत्व, कथा और महिमा

Astroking : Talk to Astrologers
4 min readJun 14, 2023

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जैसा कि हम सब जानते हैं कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी कहा जाता है. हर साल कुल 24 एकादशी पड़ती है, जिनमें से से निर्जला एकदशी सबसे ज्यादा अहम मानी जाती है. चली आ रहीं मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से साल भर की सभी एकादशी व्रत करने के बराबर का फल प्राप्त होता है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. इस दिन किए गए पूजन व दान-पुण्य से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि भगवान विष्णु का आशीर्वाद दिलाने वाली सभी एकादशी में निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन होता है. इस व्रत में पानी पीना वर्जित माना जाता है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है. पद्म पुराण में बताया गया है कि इस व्रत को करने से दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 मई दोपहर 01 बजकर 07 मिनट से शुरू हो रही है. ये तिथि अगले दिन 31 मई को दोपहर 01 बजकर 45 पर समाप्त होगी. ऐसे में इस बार निर्जला एकादशी 31 मई 2023 को मनाई जाएगी. निर्जला एकादशी का पारण 01 जून को किया जाएगा, जिसका समय सुबह 05 बजकर 24 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगा.

निर्जला एकादशी की सम्पूर्ण पूजन विधि

1 निर्जला एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें.

2 सबसे पहले पूजाघर में घी का दीपक जलाएं और हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें.

3 भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे पहले गंगाजल से अभिषेक करें, फिर चंदन और हल्दी से तिलक करें.

4 फूल, पीले वस्त्र, पीला जनेऊ, अक्षत, नैवेद्य, तुलसीदल आदि अर्पित करें

5 सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाएं.

6 धूप-दीप जलाकर निर्जला एकादशी की व्रत कथा सुनें या पढ़ें.

7 इसके बाद आखिर में आरती करें. इस बात का ध्यान रखें कि भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी जी की पूजा भी जरूर करें.

निर्जला एकादशी की व्रत कथा

चली आ रही पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत काल में एक बार पांडव पुत्र महाबली भीम के महल में वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास पधारे. भीम ने वेदव्यास जी से पूछा- “हे मुनिश्रेठ! आप तो सर्वज्ञ हैं और सबकुछ जानते हैं, मेरे परिवार में युधिष्ठर, अर्जुन, नकुल, सहदेव, माता कुंती, द्रोपदी सभी एकादशी का व्रत रखते हैं और मुझे भी व्रत रखने के लिए कहते हैं. लेकिन मैं हर महीने एकादशी का व्रत रखने में असमर्थ हूं क्योंकि मुझे अत्यधित भूख लगती है. इसलिये आप मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मुझे एकादशी के व्रत के समान फल की प्राप्ति हो” वेदव्यास जी ने कहा- हे भीम! स्वर्गलोक की प्राप्ति और नरक से मुक्ति दिलाने वाले एकादशी व्रत की महिमा अपरमपार है. इसलिए तुम ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का व्रत करो. इसमें केवल एक दिन अन्न-जल का त्याग करना होता है. इसमें व्रतधारी को एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना खाए-पिए रहना होता है. मात्र इस एक एकादशी के व्रत से तुम्हें सालभर की सभी एकादशी व्रत के समान पुण्य फल की प्राप्ति होगी. व्यास जी के आज्ञानुसार भीम ने निर्जला एकादशी का व्रत किया और इसके बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई.

माना जाता है कि निर्जला एकादशी के दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान देने और उनकी सहायता करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस दिन व्रत करने से समस्त पाप मिट जाते हैं, और दुख तथा कष्टों का नाश होता है. इतना ही नहीं, इस व्रत के पुण्य प्रभाव से व्यक्ति को मृत्यु के बाद स्वर्ग में स्थान मिलता है.

कृपया ध्यान दें और निर्जला एकादशी के दिन भूल से भी ये काम ना करें

1. निर्जला एकादशी के दिन घर में चावल ना बनाएं.

2.एकादशी तिथि के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ें, अगर पत्तों की अति आवश्कता हो तो आप एक दिन पहले ही पत्तों को तोड़ कर रख सकते हैं.

3 इस दिन घर में प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा का सेवन ना करें.

4 साथ ही किसी से लड़ाई-झगड़ा ना करें, किसी का बुरा ना सोचें, किसी का अहित ना करें, और ना ही क्रोध करे

आशा है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा. लेख पूरी तरह से मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है, किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें, ईश्वर की कृपा सदा आप पर बनी रहे.

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