ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जानें कि क्या व्यक्ति का जीवनसाथी पहले से तय होता है

Astroking : Talk to Astrologers
6 min readJun 14, 2023

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प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक साथी की खोज व्यक्तिगत संतोष और खुशहाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। जब हम अपने आप को एक साथी के साथ संयुक्त करते हैं, तो हमारा जीवन उत्कृष्टता, समृद्धि और सुख की ओर आग्रस्त होता है। ज्योतिष शास्त्र एक प्राचीन विज्ञान है जो इस प्रश्न पर प्रकाश डाल सकता है: क्या हमारा जीवनसाथी हमारे लिए पहले से ही तय होता है?

हालांकि, इस मुद्दे पर विभिन्न दृष्टिकोण हो सकते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि ज्योतिष शास्त्र वास्तविकता में विश्वासयोग्य है और इसके माध्यम से व्यक्ति का जीवनसाथी पहले से ही निर्धारित किया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों की स्थिति, कुंडली और भाग्य पर आधारित अनुमान लगाए जा सकते हैं जो व्यक्ति के जीवनसाथी की पहचान कर सकते हैं।

“इस दृष्टिकोण के अनुसार, व्यक्ति के जीवनसाथी पहले से तय होता है। ज्योतिष शास्त्र में मान्यता है कि ग्रहों की चाल के आधार पर और कुंडली के विश्लेषण से जीवनसाथी की पहचान की जा सकती है। ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में विवाह संबंधी योग को प्रभावित करता है, जिससे उसका जीवनसाथी पहले से निर्धारित हो जाता है। कुंडली में राशि, नक्षत्र और ग्रहों की स्थिति के माध्यम से जीवनसाथी का प्रकटीकरण किया जा सकता है।”

ज्योतिष में, व्यक्ति की जीवनसाथी भविष्यवाणी करने के लिए निम्नलिखित ग्रहों का महत्वपूर्ण योगदान होता है:

1. शुक्र ग्रह: शुक्र ग्रह प्रेम, सौंदर्य, आकर्षण, और रोमांटिक भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। जन्म कुंडली में शुक्र की स्थिति और पहलू देखकर ज्योतिषी व्यक्ति के प्रेम और संबंधों के प्रति उसकी प्राथमिकता का अनुमान लगा सकते हैं।
2. चंद्रमा ग्रह: चंद्रमा ग्रह मन, भावनाएं, और आध्यात्मिकता का प्रतिनिधित्व करता है। जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति व्यक्ति के रिश्तों में भावनात्मक आकर्षण, संवेदनशीलता, और संबंधों की महत्त्वाकांक्षा के बारे में संकेत देती है।
3. मंगल ग्रह: मंगल ग्रह जोश, ऊर्जा, प्रेरणा, और यौनता का प्रतिनिधित्व करता है। जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति और पहलू ज्योतिषी को व्यक्ति की साहसिकता, आक्रामकता, और यौन उत्प्रेरणा के बारे में जानकारी देती है।

यह ग्रह व्यक्ति के जीवनसाथी के संबंध में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, लेकिन इनके अलावा भी कुंडली में अन्य ग्रहों और भावों का भी महत्व होता है। ज्योतिषी कुंडली के संपूर्ण विश्लेषण के आधार पर व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को देखते हुए जीवनसाथी के संबंध में सलाह देते हैं। इसलिए, ग्रहों का विश्लेषण करने के साथ-साथ अन्य आवश्यक प्रमाणों को भी मध्यस्थ करना महत्वपूर्ण है।

ज्योतिष में, जीवनसाथी भविष्यवाणी के लिए सप्तम भाव और पंचम भाव महत्वपूर्ण होते हैं।

1. सप्तम भाव: सप्तम भाव साझेदारी और विवाह का भाव होता है। इस भाव के माध्यम से ज्योतिषी व्यक्ति के जीवनसाथी के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। सप्तम भाव किसी के संभावित जीवनसाथी को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सप्तम भाव में मंगल ग्रह एक भावुक और मुखर साथी की आवश्यकता का संकेत दे सकता है। इसके साथ ही, सप्तम भाव पर अन्य ग्रहों द्वारा निर्मित पहलू रिश्तों की प्रकृति के बारे में महत्वपूर्ण विवरण प्रदान करते हैं।

2. पंचम भाव: पंचम भाव प्रेम संबंधों, रोमांस, और रचनात्मकता का प्रतिनिधित्व करता है। इस भाव की सहायता से ज्योतिषी व्यक्ति के भावी साथी के बारे में जान सकते हैं। पंचम भाव में व्यक्ति के प्रेम के प्रति दृष्टिकोण को दर्शाता है। इसके अलावा, पंचम भाव प्रेम का प्रतिनिधित्व करता है और एक दीर्घकालिक साझेदारी या जीवनसाथी के बारे में बताता है। पंचम भाव से जुड़ी ऊर्जा को समझकर, व्यक्ति अपने डेटिंग जीवन और उन गुणों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है, जो उन्हें संभावित जीवनसाथी के बारे में बता सकती है।

यह दोनों भाव जीवनसाथी के बारे में महत्वपूर्ण ज्योतिषीय जानकारी प्रदान करते हैं। ज्योतिषी कुंडली का पूरा विश्लेषण करते हुए व्यक्ति के जीवन के अन्य पहलुओं को भी ध्यान में रखते हैं और उचित सलाह देते हैं।

क्या जीवन साथी पहले से तय होता है?

ज्योतिष शास्त्र में, जीवनसाथी के पहले से तय होने या न होने की मान्यता विभिन्न हो सकती है और यह व्यक्ति के ज्योतिषीय दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। कुछ ज्योतिषी विश्वास करते हैं कि जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति और योग व्यक्ति के जीवनसाथी के बारे में निर्दिष्ट संकेत प्रदान कर सकते हैं। इसके आधार पर, ज्योतिषी जीवनसाथी के बारे में भविष्यवाणी कर सकते हैं। हालांकि, इसे सच्चाई या निश्चितता की तरह लेना सम्भव नहीं है, और ज्योतिषी की व्यक्तिगत विशेषताओं, अनुभव, और तत्वों पर निर्भर करता है।

व्यक्ति की जन्म कुंडली में विभिन्न घटकों की स्थिति और ग्रहों के संयोग के माध्यम से, ज्योतिषी जीवनसाथी के संभावित गुणों, प्रेम के प्रति दृष्टिकोण और संभावित सम्पन्नता के बारे में विश्वास करते हैं। इसमें विभिन्न भावों और ग्रहों की संयोजना, विपरीत संयोग, योग, दशा-भुक्ति, और अन्य तत्वों का अध्ययन शामिल होता है।

हालांकि, इस विषय पर विभिन्न स्कूल ऑफ़ थॉट हैं और अलग-अलग ज्योतिषी अलग-अलग दृष्टिकोण रखते हैं। कुछ ज्योतिषी जानकारी को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं और मानते हैं कि जीवनसाथी के गुणों का पूर्व-निर्धारण किया जा सकता है, जबकि कुछ अन्य ज्योतिषी इसे पूर्णतः विवादास्पद मानते हैं और व्यक्तिगत पसंद, आपसी संबंध और कर्मों के प्रभाव को अधिक महत्व देते हैं।

संक्षेप में कहें तो, ज्योतिष शास्त्र जीवनसाथी के पहले से तय होने या न होने की विवादास्पद मान्यता रखता है, और यह व्यक्ति के विश्वास और अपने ज्योतिषीय दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।

सप्तम भाव से जानें जीवनसाथी का स्वभाव

ज्योतिष के अनुसार, व्यक्ति की कुंडली के सप्तम भाव में राशियों और ग्रहों के होने से हम जीवनसाथी के स्वभाव के बारे में कुछ विशेष बातें जान सकते हैं। निम्नलिखित विवरण आपको सामग्री का अधिक अवधारणा करने में मदद करेंगे:

1. सप्तम भाव में मेष, सिंह या धनु राशि होने पर जीवनसाथी साहसी और अधिक क्रोधी स्वभाव वाला होता है. वे अपने जीवन में साहसिक और प्रबल भूमिका निभाते हैं.

2. सप्तम भाव में कर्क, वृश्चिक या मीन राशि होने पर जीवनसाथी भावुक और कोमल स्वभाव वाला होता है. वे संवेदनशील होते हैं और जीवन के भावुक पहलुओं को महत्व देते हैं.

3. सप्तम भाव में वृषभ, कन्या या मकर राशि होने पर जीवनसाथी कार्यकुशल होता है, लेकिन अंतर्मुखी स्वभाव वाला होता है. वे अपने कर्तव्यों में निष्ठापूर्ण और परिश्रमी होते हैं.

4. सप्तम भाव में मिथुन, तुला या कुंभ राशि होने पर जीवनसाथी सामाजिक, वाचक और व्यवहार में अच्छा होता है. वे मानसिक रूप से सामाजिक होते हैं और संगठन के लिए कुशल होते हैं.

यह तथ्यों का उपयोग व्यक्तिगत अनुभव और जीवनसाथी के साथ व्यक्तिगत अनुभवों के साथ मिलाकर किया जाना चाहिए। कुंडली के अध्ययन से केवल जीवनसाथी के स्वभाव के बारे में मात्र एक सामान्य अंदाजा दिया जा सकता है, इसलिए इसे विशेष संदर्भ मानना चाहिए। अगर आपको व्यक्तिगत ज्योतिषी बातचीत करनी हो तो उनसे अपनी स्थिति का विश्लेषण करवाना बेहतर होगा।

सप्तम भाव में ग्रह

ज्योतिष के अनुसार, सप्तम भाव में ग्रहों का होना भी जीवनसाथी के स्वभाव के बारे में अवधारणा करने में मदद करता है। निम्नलिखित विवरण आपको ग्रहों के स्थिति के बारे में अधिक जानकारी देता है:

1. सप्तम भाव में सूर्य ग्रह होने पर जीवनसाथी अहंकारी, आत्मविश्वासी और धनी हो सकता है। वे अपने अंदर के प्रभावशाली और सक्षम गुणों के बारे में गर्व महसूस करते हैं।

2. सप्तम भाव में मंगल ग्रह होने पर जीवनसाथी महत्वकांक्षी, क्रोधी, खर्चीला और खाने-पीने का शौकीन हो सकता है। उनमें अधिक ऊर्जा और प्रवृत्ति हो सकती है, जिससे कभी-कभी जीवनसाथी के साथ संघर्ष हो सकता है।

3. सप्तम भाव में बुध ग्रह होने पर जीवनसाथी बातूनी और बुद्धिमान हो सकता है। वे वाणीकी, बुद्धि, और ज्ञान में माहिर होते हैं और वाणी की महत्वाकांक्षा रखते हैं।

4. सप्तम भाव में गुरु ग्रह होने पर जीवनसाथी धार्मिक, समझदार और शिक्षित हो सकता है। वे अपनी विचारधारा और ज्ञान को महत्व देते हैं और सामाजिक मामलों में उच्च स्तर पर सोच सकते हैं।

5. सप्तम भाव में शुक्र ग्रह होने पर जीवनसाथी आकर्षक, सुंदर और कलाप्रिय हो सकता है। वे सौंदर्य, कला, और सुख को महत्व देते हैं और जीवन को आनंददायी बनाने के लिए प्रयास करते हैं।

6. सप्तम भाव में शनि ग्रह होने पर जीवनसाथी गंभीर, अंतर्मुखी, रूढ़िवादी और निराशावादी हो सकता है। वे कार्यों को गंभीरता से लेते हैं और जीवन की उचितता और सत्यता को महत्व देते हैं।

7. सप्तम भाव में चंद्रमा ग्रह होने पर जीवनसाथी मददगार और शांत स्वभाव का हो सकता है। वे संवेदनशीलता, सहानुभूति और आदर्शवादीता के गुणों को महत्व देते हैं और परिवार और साथी के साथ मेल-जोल में खुशहाली का ध्यान रखते हैं।

8. सप्तम भाव में राहु और केतु ग्रह होने पर जीवनसाथी समझदार हो सकता है, लेकिन उनकी रिश्तों में स्वार्थपूर्ण भावनाएं रह सकती हैं। वे कूटनीतिज्ञता और अपने हित की चिंता कर सकते हैं।

यह सूची ज्योतिष द्वारा उपयोग की जाने वाली अवधारणाओं का संक्षेप है और यह व्यक्ति की कुंडली के अन्य ग्रहों और प्रभावों के साथ भी संबंधित हो सकता है। ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का केवल एक भाव में होना ही संपूर्ण जीवनसाथी के व्यक्तित्व को परिभाषित नहीं करता है, और यह सिर्फ एक मात्र दिशा प्रदान करता है। अगर आप अपने जीवनसाथी के बारे में और गहराई से जानना चाहते हैं, तो एक अभिज्ञ ज्योतिषी से संपर्क करना सर्वोत्तम होगा।

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